Geography of Haryana
Here you will get to know about the (हरियाणा का भूगोल) Geography of Haryana. This topic is very important from exam point of view. Questions are generally asked from this topic. हरियाणा का भूगोल – Geography of Haryana in Hindi is given below:-
हरियाणा का भूगोल व भू-आकृति – Haryana Geography
हरियाणा में दो बड़े भू-क्षेत्र है, राज्य का एक बड़ा हिस्सा समतल जलोढ़ मैदानों से युक्त है और पूर्वोत्तर में तीखे ढ़ाल वाली शिवालिया पहाड़ियां तथा संकरा पहाड़ी क्षेत्र है। समुद्र की सतह 210 मीटर से 270 मीटर ऊंचे मैदानी इलाकों से पानी बहकर एकमात्र बारहमासी नदी यमुना में आता है, यह राज्य की पूर्वी सीमा से होकर बहती है। शिवालिक पहाड़ियों से निकली अनेक मौसमी नदियां मैदानी भागों से गुज़रती है। इनमें सबसे प्रमुख घग्घर (राज्य की उत्तरी सीमा के निकट) नदी है। ऐसा माना जाता है कि कभी यह नदी सिंधु नदी में मिलती थी, जो अब पाकिस्तान में है। इस नदी के निचले क्षेत्र में आर्य-पूर्व सभ्यता के अवशेस मिलते हैं। इसके अलावा दक्षिण हरियाणा के महेंद्रगढ़, रेवाड़ी और गुड़गांव ज़िलों में दक्षिण से उत्तर की ओर दिल्ली तक विस्तृत अरावली पर्वत शृंखला के भी अवशेष मिलते हैं।
हरियाणा के अधिकांश क्षेत्र में शुष्क और अर्द्ध शुष्क परिस्थितियां हैं। केवल पुर्वोतर में थोड़ी आर्द्रता पाईन जाती है। यद्यपि राज्य में नहर सिंचाई प्रणाली और बड़े पैमाने पर नलकूप हैं। इसके बावजूद यहाँ कुछ अत्यधिक सूखाग्रस्त क्षेत्र हैं, ख़ासकर दक्षिणी और दक्षिण-पश्चिमी हिस्सों में, तथापि यमुना व घग्घर नदी की सहायक नदीयों में कभी-कभी बाढ़ भी जाती है। गर्मियों में ख़ुब गर्मी पड़ती है और सर्दियों में ख़ूब सर्दी। गर्मियों में (मई-जून) अधिकतम तापमान 46 डिग्री से। तक पहुंच जाता है। जनवरी में कभी-कभी न्यूनतम तापमान जमाव बिंदु तक पहुंच जाता है। राज्य के हिसार शहर में सबसे ज़्यादा गर्मी पड़ती है।
पूर्वोतर में पहाड़ के तलहटी वाले क्षेत्र को छोड़कर पूरे राज्य में मिट्टी गहरी व उर्वर है और दक्षिण-पश्चिम में राजस्थान के मरुस्थल से सटे सीमावर्ती क्षेत्र में ज़मीन रेतीलि है। राज्य के कुल क्षेत्र के 4/5 भाग में खेती होती है और इसमें से लगभग तीन-चौथाई क्षेत्र सिंचित है। यद्यपि राज्य के उत्तरी, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी भागों में सिंचाई नलकूपों के ज़रिये होती है, वहीं दक्षिण-पश्चिमी क्षेत्र में अधिकांश सिंचाई नहर के ज़रिये होती है। राज्य में वन क्षेत्र नगण्य हैं। राजमार्गों के किनारे और ऊसर ज़मीनों पर यूकलिप्टस के पेड़ उगाए गए हैं। राज्य के उत्तरी भागों में सड़क किनारे आमतौर पर शीशम (डालबर्गिया सिस्सू) के पेड़ पाए जाते हैं, जबकी दक्षिण और दक्षिण-पश्चिमी हरियाणा में कीकर (अकेशिया अरेबिका) के पेड़ व झाड़ियां आमतौर पर मिलती हैं।
हरियाणा की भौगोलिक स्थिति
हरियाणा भारत के उत्तर-पश्चिम में 27.39′ से 30.55′ उ. अक्षांश और 74.28′ से 77.36′ पू. रेखांश के मध्य स्थित है|
यमुना नदी वर्तमान हरियाणा की पूर्वी सीमा निर्धारित करके उत्तर प्रदेश से अलग करती है| पश्चिम में पंजाब और राजस्थान के भाग लगते हैं तो उत्तर के पंजाब का कुछ भाग तथा हिमाचल प्रदेश और शिवालिक की पहाड़ियां हैं| दक्षिण में राजस्थान प्रदेश और अरावली की पहाड़ियां हैं|
क्षेत्रफल– 44212 वर्ग किलोमीटर
नदियाँ– पूर्व में यमुना, उत्तरी हरियाणा में सरस्वती (जो लुप्त हो गई थी और खुदाई जारी है), दृषद्वती, आपगा, तांगड़ी, मारकंडा, घग्गर, अशुमती और दक्षिण में साहबी, कसावती (कृष्णावती) दोहान, इन्द्रौरी|
वर्षा– अधिकतम 216 सेंटीमीटर (शिवालिक की तलहटी में)
न्यूनतम-25-38 सेंटीमीटर (दक्षिणी हरियाणा में)
फसलें– हरियाणा में मुख्यतः दो फसलें होती हैं|
1.रबी (असाढ़ी)-यह फसल सर्दी में होती है| अक्टूबर-नवम्बर में बोई जाती है और मार्च-अप्रैल में कटाई की जाती है| रबी फसल में गेंहू, जौ, चना, सरसों उगाये जाते हैं|
2. खरीफ (सावणी)-यह फसल वर्षा शुरू होने पर आमतौर पर मानसून सक्रिय होने पर जून-जुलाई में बोई जाती है और सर्दी की शुरुआत होने पर सितम्बर-अक्टूबर में काट ली जाती है| इसमें ज्वार, बाजरा, ग्वार, मूंग, मक्का, कपास आदि उगाये जाते हैं|
पानी की अच्छी उपलब्धता वाले क्षेत्रों में धान और गन्ना (ईख) भी उगाया जाता है|
वनस्पति– हरियाणा के शिवालिक क्षेत्र में चीड, केले, सिरस, कचनार, खैर, बियुल, जिंगन, अमलतास और बयल जैसे पेड़ पाए जाते हैं|
कालका-मोरनी क्षेत्र में जामुन, महुआ, बहेड़ा, तुन, अर्जुन आदि पेड़ पाए जाते हैं|
हरियाणा के मैदानी इलाकों में शीशम, नीम, सिरस, पीपल, बड, लेसवा (लासूडा), आम, जामुन, इमली, सौंहजना ,सेमल आदि पेड़ पाए जाते हैं|
दक्षिण पश्चिम के शुष्क और रेतीले इलाके में जांटी (खेजड़ी), कीकर, बेरी, फिरास, बबूल, जाल, नीम, पीपल, बड जैसे पेड़ और कैर, थूहर जैसी झाड़ियों के अलावा खींप, आक, सरकंडा आदि पौधे भी पाए जाते हैं|
पशु– हरियाणा में हिरन, स्याहगोश, खरगोश, गीदड़, लोमड़ी, नीलगाय (रोझ), लंगूर, बन्दर आदि जंगली और गाय, भैंस, (मुर्राह भैंस हरियाणा की प्रमुख नस्ल है), बैल, ऊंट, घोडा, गधा, खच्चर, सूअर, भेड़, बकरी, कुत्ते, बिल्ली आदि पालतू जानवर पाए जाते हैं|
पक्षी– यूँ तो हरियाणा में स्थित पक्षी विहारों में कई तरह के प्रवासी पक्षी आते हैं लेकिन यहाँ मिलने वाले प्रमुख पक्षियों में कुञ्ज, कबूतर, कौआ, बतख, तोता, बुलबुल, गुरसल, घुग्गी, जंगली मैना, मोर, मुर्गी, बाज, गीद्ध, बगुला, तीतर, काला तीतर, सोन-चिडी, नीलकंठ, गौरया, डोमनी, काली चिड़िया, चमगादड़, उल्लू, आदि शामिल हैं| काला तीतर हरियाणा का राज्य पक्षी है|
जीव-जंतु– हरियाणा में मेंढक, भुज, कछुए, सांप (काला, गुराहडिया, बिसून्डिया, धामन, दोमुंही, सटक, पदम, चमेलिया, दबोइया, बिलान्दिया), गोहे, गुहेरी, छिपकली, गिरगिट, सांडा, बिच्छू, कनखिजूरा, गिलहरी, नेवला आदि सृसर्प व् अन्य जीव-जंतु मिलते हैं|
खनिज– खनिज के मामले में हरियाणा संपन्न नहीं है| दक्षिणी हरियाणा के महेंद्रगढ़ तथा रेवाड़ी जिलों में अवश्य कुछ खनिज जैसे- चूना पत्थर, बजरी, संगमरमर, स्लेट, स्फटिक, शीशा, ताम्बा, अभ्रक मिलते हैं| इसी प्रकार दादरी के गाँव कल्याणा में संगे लरजा (हिलना पत्थर) मिलता है और गुडगाँव में चीनी मिटटी मिलती है|
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