हरियाणा की भौगोलिक संरचना – Geographical structure of Haryana

हरियाणा की भौगोलिक संरचना – Geographical structure of Haryana

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हरियाणा राज्य भारत के उत्तरी-पश्चिमी (north-west) भाग में स्थित है | हरियाणा की स्थिति 2739’ उत्तरी अक्षांश से 3055’5’’ उत्तरी अक्षांश तथा 7428’ से पूर्वी देशांतर से 7736′ पूर्वी देशांतर के बीच है | हरियाणा प्रदेश गंगा-सिंधु मैदानो का उत्तर पश्चिमी भाग है | हरियाणा प्रदेश की आकृति विषमबाहु चतुर्भुज जैसी है | हरियाणा भारत का भू-आवेष्ठित राज्य है, जिसका क्षेत्रफल 44,212 वर्ग किलोमीटर है, जो देश के कुल क्षेत्रफल का 1.34% है | क्षेत्रफल की दृष्टि से हरियाणा भारत में 21वे स्थान पर है | एफ़एसआई (FSI, 2015) की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 1,584 वर्ग किलोमीटर भाग पर वन है जो कि भौगोलिक क्षेत्र का कुल 3.16% है |  हरियाणा का अक्षांश व देशांतर विस्तार 30X30 का है|

Geographical structure of Haryana

 

हरियाणा की भू-आकृति – Geographical structure of Haryana

हरियाणा प्रदेश गंगा-सिंधु मैदानो का उत्तर पश्चिमी भाग है, हरियाणा के लगभग 93.76% भाग समतल एवं तरंगित मैदान है, जिसे समान्यत: घग्घर के नाम से जाना जाता है| इसकी उचाई लगभग 300 मीटर के करीब है | समतल मैदान 68.21% जबकि 25.55% भाग तरंगित तथा ऊर्मिल है, जिसके बीच में पहाड़ियों के ठूँठ (stumps) और रेट के टीले सम्मलित है | राज्य का 3.09% भाग पहाड़ी एवं चट्टानी है, यह अरावली पर्वतश्रेणी का हिस्सा है | समुन्द्र ताल से इस भाग की ऊंचाई 300 मीटर से अधिक की है | राज्य के 1.67% भाग पर शिवालिक पर्वत श्रेणी है जिसकी ऊंचाई लगभग 300 से 400 मीटर तक है | इस क्षेत्र को गिरीपाद मैदान भी कहते है| ये भाग पंचकुला, अंबाला और यमुनानगर जिले शामिल है |

 

भू आकृति के आधार पर हरियाणा को आठ भागों में बांटा गया है 

On the basis of Geographical structure of Haryana, it is divided in eight parts

1. शिवालिक :
राज्य के उत्तरी भाग जिनमें पंचकुला, अंबाला और यमुनानगर जिला शामिल है, में शिवालिक पहाड़ियों का विस्तार है |इन पहाड़ियों ऊँचाई 900 मीटर से लेकर 2300 मीटर तक है | ऊंचाई के आधार पर इन्हे दो भागों में बांटा गया है –

  1. उच्च शिवालिक श्रेणियां (600 मीटर से ऊंची )
  2. निम्न श्रेणियां (400 से 600 मीटर ऊंची )

हरियाणा की सबसे ऊंची “पहाड़ी मोरनी” पंचकुला से 30 किलोमीटर दूर है जिसकी ऊंचाई समुन्द्र तल से 1,220 मीटर है | मोरनी की पहाड़ियाँ हरियाणा में सबसे ऊँची पहाड़ी है जिसकी सर्वोच्च चोटी करोह है करोह की ऊंचाई समुन्द्रतल से 4813 फुट है |

 

2. गिरीपाद के मैदान :
गिरिपाद मैदान, शिवालिक श्रेणियों के दक्षिण में 25 किमी. चौड़ी पट्टी के रूप में स्थित है, जो यमुना नदी से घग्घर नदी तक  यमुनानगर, अम्बाला और पंचकुला जिलों में विस्तृत है | इस पर्वतीय मैदान को स्थानीय भाषा में ‘घर’ कहा जाता है | इस क्षेत्र की प्रमुख नदियां घग्घर और मारकंडा है | समुन्द्र तल से इस मैदान की ऊंचाई 300 से 375 मीटर तक है | ये मैदान अपेक्षाकृत कम उपजाऊ वाले है. इसका ढाल उत्तर पूर्व से दक्षिण पश्चिम की तरफ है.

 

3. जलौढ़ मैदान :
यह मैदान शिवालिक के गिरीपाद क्षेत्र से अरावली तक व यमुना और घग्घर नदियों के मध्य उच्च भूमि के जलौढ मैदान फैले हुये है | इन्हे बांगर नाम से भी जाना जाता है समुन्द्र तल से इन मैदानों की ऊंचाई लगभग 220 से 280 मीटर तक है | इन मैदानों में मारकंडा, सरस्वती और चौटांग नदियां बहती है |

 

4. बालुका टिब्बे युक्त मैदान :
यह बालू मैदान पश्चिम में हरियाणा व राजस्थान की सीमा के साथ साथ विस्तृत है| यह मैदान सिरसा जिले के दक्षिणी भाग से शुरू होकर हिसार, भिवानी, महेन्द्र्गढ़, रेवाड़ी तथा झज्झर जिलो तक फैला हुआ है | राजस्थान से आने वाली गरम शुष्क हवाओ द्वारा लगातार कच्छ की ओर से लाई गई बालू मिट्टी के निक्षेपण से विशाल क्षेत्र में ‘बालू का टीले’ का निर्माण हुआ है | इन टीलों के मध्य में निम्न स्थल ‘ताल’ पाये जाते है जिनमे वर्षो ऋतु में जल भर जाने से अस्थाई छिछली झीलें बन जाती है जिनहे ‘ठूँठ’ या ‘बावड़ी’ कहते है |

 

5. बाढ का मैदान

यमुना व घग्घर नदियों द्वरा प्रदेश के पूर्वी व पशिचम भागों में बाढ युक्त दलदली भागों का निर्माण हुआ है. बाढ़ का मैदान फरीदाबाद, यमुनानगर, सिरसा व फतेहाबाद जिलों में विस्तृत है. इन्हे क्रमशः बेट व नाली कहा जाता है. ऐसे ही बाढ के मैदान हरियाणा के उत्तर – पशिचम भांगों में मारकण्डा तथा घग्घर नदियों ने बनाए है.

 

6. अनकाई दलदल :
हरियाणा के पश्चिम भाग, सिरसा के दक्षिण में अनकाई दलदल पाया जाता है, यह राज्य का सबसे कम ऊंचाई वाला भाग है जो समुन्द्र तल से लगभग 200 मीटर ऊंचाई पर है |

 

7. अरावली का पथरीला प्रदेश

रावली की शुष्क पहाड़ियां हरियाणा के दक्षिण में स्थित है. यहा पहाड़ी राजस्थान में स्थित अरावली का भाग है.इन पहाड़ियों से चुना तथा स्लेट निकाला जाता है . वर्षा काम होने के कारण यहाँ कांटेदार झाड़ियाँ तथा कांटेदार वृक्ष पाए जाते है. अरावली की पहाड़ियाँ में गुडगाँव जिले के मेवात क्षेत्र में स्थित है.

 

8. तरंगित बालू मैदान

 

भू-आकृतिक विविधताएँ (Geomorphic Variations)

  • उत्तर- पूर्वी भाग मे शिवालिक तथा दक्षिण एवं दक्षिण- पश्चिम मे अरावली की अवशिष्ट पहाड़ियाँ एवं बालू के टिब्बे युक्त मैदान (भू- क्षेत्र एवं खंडहिन) इन दोनों के मध्य पथरीला प्रदेश, पर्वतपाद मैदान, जलोढ़ मैदान, निर्माण करती है |
  • मध्य मैदानी भाग के दक्षिण- पश्चिम मे अरावली की अवशिष्ट पहाड़ियाँ स्थित है जिनकी उचाई 300 मीटर व इससे अधिक है |
  • उत्तर एवं पूर्व मे शिवालिक पहाड़ियाँ तृतीय उत्थान के समय निर्मित हुई जिनकी ऊंचाई 400-900 मीटर है| इनकी रचना रेत , चीका , बजरी तथा कोंग्लोमिरेट से हुई है | घग्घर नदी, मारकंडा नदी, टांगरी नदी तथा सरस्वती नदी इन्ही पहाड़ियों से निकलती है |
  • घग्घर- यमुना दोआब का मैदान बहुत बड़े भू- भाग को घेरे हुए है | शिवालिक तथा अरावली के मध्य यह जलोढ़ का मैदान है | इसका ढलान मंद है जो उत्तर -पूर्व से दक्षिण- पश्चिम की ओर है | समुद्र तल से इसकी औसत ऊंचाई 220- 280 मीटर है | इस क्षेत्र मे मारकंडा , सरस्वती , चोतंग नदियां बहती है |
  • हरियाणा के पूर्वी किनारे पर यमुनानगर से फ़रीदाबाद तक यमुना नदी की बाढ़ से निर्मित तरंगित मैदान है | उत्तर- पश्चिमी भागों में घग्घर तथा मारकंडा भी इसी तरह बाढ़ के मैदान का निर्माण करती है |
  • राजस्थान की सीमा के साथ लगता दक्षिण- पश्चिम भाग बालूमय मैदान है, जो सिरसा जिले के दक्षिणी भागों से शुरू होकर फतेहाबाद, हिसार, भिवानी, महेन्द्रगढ़, रेवाड़ी और झज्झर जिलो तक फैला हुआ है | हरियाणा के इस क्षेत्र मे मरुस्थल के प्रसार को रोकने के लिए हरी पट्टी का निर्माण किया गया है ताकि बालू रेत के विस्तार को रोका जा सके|

हरियाणा का भौगोलिक क्षेत्र (Geographical Area of Haryana)

हरियाणा को भौगोलिक दृष्टि से तीन इकाइयों में बांटा जा सकता है – कुरुक्षेत्र, हरियाणा और भट्टियाना |

  • कुरुक्षेत्र – यह क्षेत्र 2830’ से 30 उत्तरी अक्षांशो तथा 2830’ से 30 पूर्वी देशांतरों के बीच विस्तृत है| इसमें करनाल का पूर्वी भाग व जींद क्षेत्र शामिल है |
  • हरियाणा – 2930’ उत्तरी अक्षांशो मे बीच में स्थित है , जिसमें हांसी, फ़तेहाबाद, हिसार, भिवानी, चरखी दादरी और रोहतक जिलों के भाग शामिल है | जाटों की अधिकता के कारण इसे जटीयात क्षेत्र कहा जाता है |
  • भट्टियाना – यह क्षेत्र फ़तेहाबाद व भाटू तहसीलों की मध्य स्थित है , प्राचीन समय में यहां भाटी राजपूतों का अधिकार था |

 

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